कुछ अपने बारे में ....

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नवग्रह की नगरी खरगोन, मध्य प्रदेश, India
क्या बताऊ खुद को औरो की तरह एक आम इंसान कहेने को जी नहीं चाहता . हु सबसे अलग . सोच है अलग . प्यार करता हु हर इंसान से . झांक कर देखिये मेरे दिल में बहुत जगह है आपके लिए . बहुत सुकून है . AC तो नहीं पर फिर भी ठंडक है . आराम है , प्यार है , सुकून है , अपना पन है , क़द्र है और आपसे बात करने की इच्छा है . बस चले आये बिना कुछ सोचे बिना कुछ विचारे बहार की इस भाग डोर बरी जिंदगी से अलग हटकर एक सुहाने सफ़र पर अपक स्वागत है ..हमारे दिल में .....

मेरे ब्लॉग के बारे में......

ये ब्लॉग मेरे दिल का दरीचा है , दिल की आवाज है . दरीचा याने हमारे घर की खिड़की जहाँ से झांक कर हम हसीं लम्हों को याद करते है . बहारो को निहारते है . और उन हसीं पालो को निगाहों में कैद करते है . उन भूली बिसरी यादो को याद करते है जहाँ रहकर हमने कई हसीं यादगार पल बिताये , वो लम्हे जो हमारी जिंदगी में हमशा एक याद बनकर हमेशा हमें ख़ुशी देते है . वोही है दरीचा ....जहा वख्त थम सा जाता है और हम खो जाते है उन प्यारी प्यारी मधुर यादो में जो हमेशा याद आने पर मन बुदबुदा देती है . हलचल ला देती है .

उन्ही कुछ एहसास को समेटे हुए आपने दिल के दरीचे से आपकी सासों में समां जाएँ बस यही गुजारिश है .

चलो क्यों न इस दुनिया की भाग डोर से अलग हटकर चल पड़े एक ऐसे सफ़र में जहा वक्त ठहर जाता है , हवा मंद मंद हो जाती है , मन खुशियों के हिलोरे लेता है और दिल को सुकून मिलता है , क्यों न खो जाये फिर उस एहेसास में जो तन को इस्फुरित करदे . दिन भर की थकान से दूर एक अनोखे सफ़र स्वागत है आपका . छोड़ दो सारे ग़म , भूल जाओ सारे दुःख क्युकी ये दिन ये समय तुम्हारा है .

दिल में उतर जाने दे इस अहेसास को, दिल की यादो को मन से बहार निकाल कर बांटे मेरे साथ . क्युकी यहाँ कोई आपके एहेसास की क़द्र करता है . और आपके इंतज़ार में बैठा हुआ है ....आपसे मिलने को बेक़रार है . बेक़रार है आपसे बाते करने को , आपके सुख दुःख का हम राहि बन्ने को . आपका दोस्त ............राहुल <मयंक >


तो चले एक नए सफ़र पर आपकी यादों की झील में मेरी अभिवयक्ति की पतवार पर सवार होकर ....... धन्यवाद

मंगलवार, 22 जून 2010

दोस्त

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं ,
जो दिल मैं बस जाते हैं.
जो जिन्दगी कि राहों मैं ,
हम से बिछड़ जाते हैं।

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं ,
जो रात मैं याद आते हैं.
और रातों कि तन्हाई मे रुलाते हैं।

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं ,
जो फूलों कि तरह होते हैं.
जो खुद तो चले जाते हैं,
पेर अपनी महक छोड़ जाते हैं।

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं ,
जो जिन्दगी तोड़ देते हैं.
पर जिन्दगी कि राहों मे तनहा छोड़ देते हैं.

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं,
जो चांद कि तरह होते हैं ,
जो दाग तो बहुत रखते हैं
पर खुबसुरत नज़र आते हैं.

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं ,
जो पत्थर का दिल रखते हैं ,
जो शीशा-ए-दिल तोड़ जाते है,,,,,,,,,,,

तुम...इन सुब में अनमोल हो..

पागल दिल


अपने दिल के पागलपन को,
किसे बताऊँ, किस-किस से छुपाऊँ,
इस भोलेपन के मारे को,
क्या-क्या कहूँ? कैसे समझाऊँ?

बस यूँ हि ये किसी के आगे,
रो पड़ता है, हँस देता है,
एक दो मीठे बोल मिलें तो,
उसी को अपना कह देता है,

नहीं समझता बात ये इतनी,
दिल का हँसना, दिल का रोना ठीक नहीं है,
इतनी जल्दी किसी का होना ठीक नहीं है,
कोई मिले तो उसी को अपना साथी कह दो,
यूँ सबको अपना मीत समझना ठीक नहीं है,

इस दुनिया की आँखें अक्सर,
रोते को रोने नहीं देती,
हँसते को हँसने नहीं देती,
साथ देती नहीं किसी का,
और तन्हा किसी को रहने नहीं देती,

पर ये दिल बिल्कुल पागल है,
हँसता है और फिर रो पड़ता है,
कि कोई इसके साथ हँसेगा,
कोई तो होगा जो इन अश्कों को,
मोती कह के सब चुन लेगा,

लेकिन इसको कैसे समझाऊँ?
यूँ हर मिलने वाले को,
दोस्त समझना ठीक नहीं है,
खुद को उनकी खुशी समझना ठीक नहीं है,
तेरे होने ना होने का जिन को कोई फ़र्क पड़े ना,
ऐसों के जाने पर रोना ठीक नहीं है,

पर क्या कहूँ इस से? कैसे समझाऊँ?
कि इस दुनिया मे बस वो खुश है,
जो खुद को खुद ही खुश रखता है,
जो किसी पर ना निर्भर रहता है,
पर ये तो दिल है,
कुछ नहीं समझता और बस हँस देता है।।।
धरती के जर्रे तेज हवाओंके पंख पर होकर सवार

मेरे घरौंदे में मेहमान बन आ गए आज सुबह

शैतान बच्चोंसे हर कौने में फ़ैल गए

मैं उनसे बुहारते हुए सावन का संदेसा सुन रहा था  ....

उनकी साँसोसे मेघ मल्हारकी बांसुरी सुन रहा था ....

तब कुछ नटखट बुन्दोने कारी बदरीसे निकल कर

मेरी टीनकी छत पर तबलोसी थाप दे दी ....

कृष्णप्रेम में दीवानीसी गोपी बन

मैं बरबस छत पर उस बूंदों से खेलने चला गया  ...

पर बदमास वो बुँदे फिर बदरी में छिप गयी .....

देखा जब पलट कर मैंने

मेरी गीली छत पर आज धरती और गगनके निशाँ बन गए थे

धुल ,पानी की बुँदे पर मेरे कदमों के निशाँ बन गए थे ....

कैसा सुरीला मिलन !!!!

धरती के जर्रे ,पानी की टिप टिप पर मेरे कदमों की

तस्वीर मेरी छत पर बन गयी .....

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