कुछ अपने बारे में ....

मेरी फ़ोटो
नवग्रह की नगरी खरगोन, मध्य प्रदेश, India
क्या बताऊ खुद को औरो की तरह एक आम इंसान कहेने को जी नहीं चाहता . हु सबसे अलग . सोच है अलग . प्यार करता हु हर इंसान से . झांक कर देखिये मेरे दिल में बहुत जगह है आपके लिए . बहुत सुकून है . AC तो नहीं पर फिर भी ठंडक है . आराम है , प्यार है , सुकून है , अपना पन है , क़द्र है और आपसे बात करने की इच्छा है . बस चले आये बिना कुछ सोचे बिना कुछ विचारे बहार की इस भाग डोर बरी जिंदगी से अलग हटकर एक सुहाने सफ़र पर अपक स्वागत है ..हमारे दिल में .....

मेरे ब्लॉग के बारे में......

ये ब्लॉग मेरे दिल का दरीचा है , दिल की आवाज है . दरीचा याने हमारे घर की खिड़की जहाँ से झांक कर हम हसीं लम्हों को याद करते है . बहारो को निहारते है . और उन हसीं पालो को निगाहों में कैद करते है . उन भूली बिसरी यादो को याद करते है जहाँ रहकर हमने कई हसीं यादगार पल बिताये , वो लम्हे जो हमारी जिंदगी में हमशा एक याद बनकर हमेशा हमें ख़ुशी देते है . वोही है दरीचा ....जहा वख्त थम सा जाता है और हम खो जाते है उन प्यारी प्यारी मधुर यादो में जो हमेशा याद आने पर मन बुदबुदा देती है . हलचल ला देती है .

उन्ही कुछ एहसास को समेटे हुए आपने दिल के दरीचे से आपकी सासों में समां जाएँ बस यही गुजारिश है .

चलो क्यों न इस दुनिया की भाग डोर से अलग हटकर चल पड़े एक ऐसे सफ़र में जहा वक्त ठहर जाता है , हवा मंद मंद हो जाती है , मन खुशियों के हिलोरे लेता है और दिल को सुकून मिलता है , क्यों न खो जाये फिर उस एहेसास में जो तन को इस्फुरित करदे . दिन भर की थकान से दूर एक अनोखे सफ़र स्वागत है आपका . छोड़ दो सारे ग़म , भूल जाओ सारे दुःख क्युकी ये दिन ये समय तुम्हारा है .

दिल में उतर जाने दे इस अहेसास को, दिल की यादो को मन से बहार निकाल कर बांटे मेरे साथ . क्युकी यहाँ कोई आपके एहेसास की क़द्र करता है . और आपके इंतज़ार में बैठा हुआ है ....आपसे मिलने को बेक़रार है . बेक़रार है आपसे बाते करने को , आपके सुख दुःख का हम राहि बन्ने को . आपका दोस्त ............राहुल <मयंक >


तो चले एक नए सफ़र पर आपकी यादों की झील में मेरी अभिवयक्ति की पतवार पर सवार होकर ....... धन्यवाद

मंगलवार, 24 अगस्त 2010

मेरी प्यारी बहना




मेरी प्यारी बहना

भइया का है कहना

तेरे हाथ की राखी है

मेरे जीवन का गहना।



रोज़ नए सुख लेकर आए

परियों वाली टोली

रात दीवाली-सी जगमग हो

हर दिन तेरी होली

हों सोलह श्रृंगार हमेशा

हर पल सुख से रहना।



ये बंधन विश्वास प्रेम का

नहीं है केवल धागा

जीवन भर रक्षा करने का

इक भाई का वादा

संकट में आवाज़ लगाना

पीड़ा कभी न सहना।



दुर्गावती ने लिखकर भेजी

थी हुमायूँ को पाती

रक्षाबंधन उस दिन से ही

है भारत की थाती

तुम बिल्कुल चिंता मत करना

तेरा भइया है ना।

रविवार, 18 जुलाई 2010


                                               ۞ लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
                                                    कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
                                                    नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
                                                    चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
                                                    मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
                                                    चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
                                                    आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
                                                    कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
                                                    डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
                                                    जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
                                                   मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
                                                   बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
                                                   मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
                 कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
                असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
          क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
                      जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
            संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.
                  कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
                              कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती .......۞

शनिवार, 17 जुलाई 2010

मातृत्व को समर्पित कुछ प्रेमाश्रु

मेरी माँ ,                                                                       

नये ज़माने के रंग में,
पुरानी सी लगती है जो

आगे बढने वालों के बीच,
पिछङी सी लगती है जो

गिर जाने पर मेरे,
दर्द से सिहर जाती है जो

चश्मे के पीछे ,आँखें गढाए,
हर चेहरे में मुझे निहारती है जो

खिङकी के पीछे ,टकटकी लगाए,
मेरा इन्तजार करती है जो

सुई में धागा डालने के लिये,
हर बार मेरी मनुहार करती है जो

तवे से उतरे हुए ,गरम फुल्कों में,
जाने कितना स्वाद भर देती है जो

मुझे परदेस भेज ,अब याद करके,
कभी-कभी पलकें भिगा लेती है जो

मेरी खुशियों का लवण,
मेरे जीवन का सार,

मेरी मुस्कुराहटों की मिठास,
मेरी आशाओं का आधार,

मेरी माँ, हाँ मेरी माँ ही तो है वो....


 



खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने......

खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने 
अगर छीनना है जहाँ छीन ले वो
जमी छीन ले आसमाँ छीन ले वो
मेरे सर की बस एक ये छत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने



अगर माँ न होती जमीं पर न आता
जो आँचल न होता कहाँ सर छुपाता
मेरा लाल कहकर बुलाती है मुझको
कि खुद भूखी रहकर खिलाती है मुझको
कि होंठों कि मेरी हँसी छीन ले वो
कि गम देदे हर एक खुशी छीन ले वो
यही एक बस मुझसे दौलत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने
                                                             


मुझे पाला पोसा बड़ा कर दिया है
कि पैरों पे अपने खड़ा कर दिया है
कभी जब अँधेरों ने मुझको सताया
तो माँ की दुआ ने ही रस्ता दिखाया
ये दामन मेरा चाहे नम कर दे जितना
वो बस आज मुझ पर करम कर दे जितना
जो मुझ पर किया है इनायत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने




अगर माँ का सर पर नहीं हाँथ होगा
तो फ़िर कौन है जो मेरे साथ होगा         
कहाँ मुँह छुपाकर के रोया करूंगा
तो फ़िर किसकी गोदी में सोया करूंगा
मेरे सामने माँ की जाँ छीनकर के
मेरी खुशनुमा दासताँ छीन कर के
मेरा जोश और मेरी हिम्मत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने


मेरा दिल....रमता जोगी

यही सोच कर पास अक्ल के कम जी जाया करता हूँ

और जो बुधिमान जन होते है उनसे कतराया करता हूँ
दिए जलने के पहले ही मैं घर आ जाया करता हूँ
जो मिलता है खा लेता हूँ , चुपचाप सो जाया करता हूँ
मेरी गीता में लिखा है -- सच्चे योगी जो होते है
वे बेफिक्री से कम से कम बारह घंटे तो सोते है


अदवायन खिची ख़त में, जो पड़ते ही आनंद आता है
वो सात स्वर्ग, अपवर्ग और मोक्ष से भी ऊँचा उठ जाता है
जब सुख की नींद कदा तकिया इस सर के नीचे आता है
तो सच कहता हूँ , इस सर में इंजन लग जाता है
मैं मेल ट्रेन हो जाता हूँ, बुद्धि भी फक् फक्क करने लगती है
भावो का रश हो जाता है, कविता सब उमड़ पड़ती है


मैं औरो की तो नहीं बात पहले अपनी ही लेता हूँ
मैं पड़ा ख़त पर बूटों को ऊटों की उपमा देता हूँ
मैं खटरागी हूँ , खटिया मैं ही गीत फूटते हैं
चाट की कडिया गिनते गिनते छंदों के बंध टूटते है
मैं इसलिए तो कहता हूँ मेरे अनुभव से कम करो
यह ख़त बिछा लो आँगन में लेटो बैठो आराम करो

मंगलवार, 22 जून 2010

दोस्त

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं ,
जो दिल मैं बस जाते हैं.
जो जिन्दगी कि राहों मैं ,
हम से बिछड़ जाते हैं।

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं ,
जो रात मैं याद आते हैं.
और रातों कि तन्हाई मे रुलाते हैं।

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं ,
जो फूलों कि तरह होते हैं.
जो खुद तो चले जाते हैं,
पेर अपनी महक छोड़ जाते हैं।

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं ,
जो जिन्दगी तोड़ देते हैं.
पर जिन्दगी कि राहों मे तनहा छोड़ देते हैं.

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं,
जो चांद कि तरह होते हैं ,
जो दाग तो बहुत रखते हैं
पर खुबसुरत नज़र आते हैं.

कुछ दोस्त ऐसे होते हैं ,
जो पत्थर का दिल रखते हैं ,
जो शीशा-ए-दिल तोड़ जाते है,,,,,,,,,,,

तुम...इन सुब में अनमोल हो..

पागल दिल


अपने दिल के पागलपन को,
किसे बताऊँ, किस-किस से छुपाऊँ,
इस भोलेपन के मारे को,
क्या-क्या कहूँ? कैसे समझाऊँ?

बस यूँ हि ये किसी के आगे,
रो पड़ता है, हँस देता है,
एक दो मीठे बोल मिलें तो,
उसी को अपना कह देता है,

नहीं समझता बात ये इतनी,
दिल का हँसना, दिल का रोना ठीक नहीं है,
इतनी जल्दी किसी का होना ठीक नहीं है,
कोई मिले तो उसी को अपना साथी कह दो,
यूँ सबको अपना मीत समझना ठीक नहीं है,

इस दुनिया की आँखें अक्सर,
रोते को रोने नहीं देती,
हँसते को हँसने नहीं देती,
साथ देती नहीं किसी का,
और तन्हा किसी को रहने नहीं देती,

पर ये दिल बिल्कुल पागल है,
हँसता है और फिर रो पड़ता है,
कि कोई इसके साथ हँसेगा,
कोई तो होगा जो इन अश्कों को,
मोती कह के सब चुन लेगा,

लेकिन इसको कैसे समझाऊँ?
यूँ हर मिलने वाले को,
दोस्त समझना ठीक नहीं है,
खुद को उनकी खुशी समझना ठीक नहीं है,
तेरे होने ना होने का जिन को कोई फ़र्क पड़े ना,
ऐसों के जाने पर रोना ठीक नहीं है,

पर क्या कहूँ इस से? कैसे समझाऊँ?
कि इस दुनिया मे बस वो खुश है,
जो खुद को खुद ही खुश रखता है,
जो किसी पर ना निर्भर रहता है,
पर ये तो दिल है,
कुछ नहीं समझता और बस हँस देता है।।।
धरती के जर्रे तेज हवाओंके पंख पर होकर सवार

मेरे घरौंदे में मेहमान बन आ गए आज सुबह

शैतान बच्चोंसे हर कौने में फ़ैल गए

मैं उनसे बुहारते हुए सावन का संदेसा सुन रहा था  ....

उनकी साँसोसे मेघ मल्हारकी बांसुरी सुन रहा था ....

तब कुछ नटखट बुन्दोने कारी बदरीसे निकल कर

मेरी टीनकी छत पर तबलोसी थाप दे दी ....

कृष्णप्रेम में दीवानीसी गोपी बन

मैं बरबस छत पर उस बूंदों से खेलने चला गया  ...

पर बदमास वो बुँदे फिर बदरी में छिप गयी .....

देखा जब पलट कर मैंने

मेरी गीली छत पर आज धरती और गगनके निशाँ बन गए थे

धुल ,पानी की बुँदे पर मेरे कदमों के निशाँ बन गए थे ....

कैसा सुरीला मिलन !!!!

धरती के जर्रे ,पानी की टिप टिप पर मेरे कदमों की

तस्वीर मेरी छत पर बन गयी .....

सोमवार, 5 अप्रैल 2010

• » ιηѕριяє∂ ωιтн тнє єѕѕєη¢є σƒ gαη∂нנι « •


Gandhiji is my role model.. not only me 
but there are a lot of Indians and
international personalities who                 believes in Gandhism. His simplicity,         courage to fight against wrong without
violence, peacefulness, love for art
and writing are some of his qualities
which makes him unique among all the
leaders. His great words inspires and
motivates a lot of people and gives a
new direction and meaning to their
lives. It was always my dream to
write about Mahatma Gandhi... and now
fortunately through hubpages I am
getting this chance to share his views
and thoughts.


Mohandas Karamchand Gandhi who was born on October 2, 1869, died as the Mahatma on January 30, 1948. Mahatma Gandhi preached and practiced non-violence.
During the Indian struggle for independence, Gandhiji taught his followers to follow ahimsa(non-violence). He is the symbol of independent India and is greatly revered by Indians as Mahatma or "the Great Soul." A large number of famous Gandhiji quotes contain so much wisdom that they have gained immortality. His compelling ideas braved death and continued to be a source of inspiration and emulation for great leaders like Martin Luther King, Jr., Cesar Chavez, and Nelson Mandela.
Here are some famous words from Gandhiji:-

  • “Nonviolence is the greatest force at the disposal of mankind. It is mightier than the mightiest weapon of destruction devised by the ingenuity of man"
  • “The things that will destroy us are: politics without principle; pleasure without conscience; wealth without work; knowledge without character; business without morality; science without humanity; and worship without sacrifice.”
  • “First they ignore you, then they laugh at you, then they fight you, then you win.”
  • “Strength does not come from physical capacity. It comes from an indomitable will.”
  • “Whenever you are confronted with an opponent. Conquer him with love.”
  • “When I despair, I remember that all through history the way of truth and love has always won. There have been tyrants and murderers and for a time they seem invincible but in the end, they always fall - think of it, ALWAYS.”
  • “If you don't ask, you don't get.”
  • "Hatred ever kills, love never dies; such is the vast difference between the two. What is obtained by love is retained for all time. What is obtained by hatred proves a burden in reality for it increases hatred. Noncooperation with evil is a sacred duty. You assist an evil system most effectively by obeying its orders and decrees. An evil system never deserves such allegiance. Allegiance to it means partaking of the evil. A good person will resist an evil system with his or her whole soul."
  • "Satisfaction lies in the effort, not in the attainment. Full effort is full victory."
  • "Not to have control over the senses is like sailing in a rudderless ship, bound to break to pieces on coming in contact with the very first rock."
  • "Power is of two kinds. One is obtained by the fear of punishment and the other by acts of love. Power based on love is a thousand times more effective and permanent then the one derived from fear of punishment."
  • "As long as you derive inner help and comfort from anything, keep it."
  • "Man and his deed are two distinct things. Whereas a good deed should call forth approbation, and a wicked deed disapprobation, the doer of the deed, whether good or wicked always deserves respect or pity as the case may be."
  • “In the attitude of silence the soul finds the path in a clearer light, and what is elusive and deceptive resolves itself into crystal clearness.”
  • "It is the law of love that rules mankind. Had violence, i.e. hate, ruled us we should have become extinct long ago. And yet, the tragedy of it is that the so-called civilized men and nations conduct themselves as if the basis of society was violence."
  • "Every worthwhile accomplishment, big or little, has its stages of drudgery and triumph; a beginning, a struggle and a victory."
  • "Hate the sin and not the sinner is a precept which though easy enough to understand is rarely practiced, and that is why the poison of hatred spreads in the world."
  • "It is good to see ourselves as others see us. Try as we may, we are never able to know ourselves fully as we are, especially the evil side of us. This we can do only if we are not angry with our critics but will take in good heart whatever they might have to say."
  • "Man's nature is not essentially evil. Brute nature has been known to yield to the influence of love. You must never despair of human nature. Nonviolence is not a garment to be put on and off at will. Its seat is in the heart, and it must be an inseparable part of our being."
  • "A 'No' uttered from the deepest conviction is better than a 'Yes' merely uttered to please, or worse, to avoid trouble."
  • "Nonviolence and cowardice are contradictory terms. Nonviolence is the greatest virtue, cowardice the greatest vice. Nonviolence springs from love, cowardice from hate. Nonviolence always suffers, cowardice would always inflict suffering. Perfect nonviolence is the highest bravery. Nonviolent conduct is never demoralizing, cowardice always is."
  • "You can chain me, you can torture me, you can even destroy this body, but you will never imprison my mind."



  

बुधवार, 24 मार्च 2010

दिल के दरीचे से .......


यार कभी कभी सोचता हु में ऐसा क्यों हु . क्यों अलग लोगो की तरह नहीं हु , बिना किसी चिंता बिना किसी सवाल के जीने वाला . 
क्यों में ओरो की तरह अपनी जिंदगी में मस्त नहीं हु . मै एक सपने देखने वाला व्यक्ति हु . मेरी आंखे सदा सपनो में डूबी हुई रहेती है . और वो मुझे पसंद भी है .
में दुनिया को अपनी नज़र से देखना पसंद करता हु या फिर यही मेरी नियत है . दुनिया के रीती रिवाज़ मेरी जल्द समझ नहीं आते . बस हमेशा खो जाता हु की यार ऐसा क्यों ऐसा क्यों नहीं, किसी भी चीज़ को जल्दी से accept  नहीं कर पाता हु . और उसे उस तरह बनाने  का सपना देखने लग जाता हु जैसा की में उसे देखना चाहता हु . और पाता नहीं क्यों मेरा मन भी ये नहीं मानता की हर चीज़ को बदलना possible  भी नहीं है और न ही मेरे हाथ में . मुझे हर चीज़ संभव लगती है . और इतंजार करता हु उस वक्त का जब वो मोका आयेगा . 
और में बहुत ही भावुक भी हु . बहुत ही emotional  . बचपन से लेकर आज भी जब कोई भी भावुक सीन फिल्मो में देखता हु तो आज भी रो पड़ता हु . हा में आज भी पहेले की तरह ही रोता हु . पाता नहीं और फिर जब ये ख्याल आता है तो हसी भी अति है . पर समझ नहीं आता की ऐसा क्यों है . दुनिया के सिद्धांत मेरी समझ में नहीं आते . मेरे हिसाब से यदि कोई चीज़ गलत है तो क्यों है . सही क्यों नहीं . सच मुच मेरा दिमाग ये बात बिलकुल भी समझ नहीं पाता है . की लोग क्यों इतने दुखी है . खास कर जब भी आपने देश में लोगो को दुखी देकता हु तो तुरंत मेरे दिमाग में ये ख्याल आता है , मै उनकी इस्थिति को समझ नहीं पाता उसे accept  नहीं कर पाता . और मेरे ह्रदय में शोक उत्पन्न हो जाता है . और ये सवाल उठता है की भारत जैसी पवित्र भूमि पर कोई दिन हिन् या दुखी कैसे हो सकता है . भारत भूमि दिन हिन् दुखियो के लिए नहीं बनी है . यहाँ पैदा हुए लोगो के लिए शोक(दुःख ) नाम की कोई चीज़ पनप ही कैसे सकती है . यहाँ लोगो ने दुखी रहेने के लिए नहीं अपितु भ्रह्म्त्व को प्राप्त करने के लिए जन्म लिया है . नाकि शोकाकुल रहेने के लिए . यहाँ का हर व्यक्ति सम्रध शाली , स्वस्थ और सुखी और आत्म इस्थित होना चाहिए . यही भ्बरत भूमि की गरिमा और इसकी नियति है . और हा में दावे के साथ कहेता हु की यह सत्य है . अभी कुछ हमारे देश का समय ख़राब चाल रहा है जो यहाँ के लोग पथ भ्रष्ट हो गए है , लेकिन जल्द ही स्वर्णिम समय आयेगा और जो य सिद्धांत भारत भूमि पर लागु होगा . भारत भूमि पुण्य सशिला . ये देव भूमि है . हमरे देश वासियों को प्रगति की दोड़. में पचिमी देशो की तुलना नहीं करनी चाहिए . अपितु स्वयं की संस्कृति का पुनह उद्धार कर उसकी गरिमा और महिमा को जान उसी में वापस दृढ होना चाहिए . क्युकी ये सर्व श्रेष्ठ है .सारे दुखो दूर करने वाली , विश्ववंदनीय और पूजनीय है . शाश्वत है . और यही हमारी प्रगति का मार्ग भी है . मेरे दोस्तों  ये सिधांत कोई भ्रम नहीं अपितु सत्य है . इसे समझो और अपनाओ और अपना और आपने देश का कल्याण करने में जुट जाओ . यह असंभव नहीं संभव है .

गुरुवार, 18 मार्च 2010

I'll walk a narrow road                              
I know I face it on my own
But i've got the will inside
You can see it in my eyes
I am not about mini skirts
And silly reasons just to flirt
Coz i've got heaven on my side
And thats how i live my life.

Hang on, I am not the only one
I am strong when the pressure comes
When they try to bring me down
I am glad that i stand on my ground
So just hang on......

I've seen a lot of things
I am the keeper of many dreams
I've got everything it takes
To stay strong, carry on
I am sick of childish games
I speak the truth and i say it staight
And when my dreams have been delayed
I've got the strength to wait
So i keep on waiting.......

I am not sugar and spice and everything nice
I've got character and i pay the price
I am not after self-perfection
I am living out my redemption
What sets me apart from everyone else
Is that i know my Savior and I know Him well
What makes me different from all the rest
Is that i wont let it get to you....




"Look, I dont want to wax philosophic, but I will sat that if u r alive u've got to flap ur arms n legs, u've got to jump around a lot 4 lyf is da very opposite of death n therefore u must at very least think noisy n colorfully or u r not alive"


"I arise in the morning torn between a desire to improve the world and a desire to enjoy the world. This makes it hard to plan the day."


"I don't want to achieve immortality through my work. I want to achieve it through not dying."


"Music was my refuge. I could crawl into the space between the notes and curl my back to loneliness. Music washes away from the soul the dust of everyday life. It is cruel, you know, that music should be so beautiful. It has the beauty of loneliness of pain: of strength and freedom. The beauty of disappointment and never-satisfied love. The cruel beauty of nature and everlasting beauty of monotony. Who hears music feels his solitude peopled at once. Music is well said to be the speech of angels. Music is love in search of a word."

सोमवार, 15 मार्च 2010

नफ़रत करो मुझसे पर इतना बता देना

नफ़रत करो मुझसे पर इतना बता देना
मेरे यार मुझसे यारी में ख़ता क्या हुई

नाम सुनके मेरा तुम लानत भेजते हो
मेरे नाम पढ़ी थी जो, वो दुआ क्या हुई

फैलाकर अपनी बाँहें मुझे अपने पास बुलाना
तेरे रिश्ते की वो गर्मी, वो अदा क्या हुई

मुझे बद्दुआ देकर तेरे अश्क़ क्यों बहते हैं
तुम ही कहो मेरे यार ये मेरी सज़ा क्या हुई

मुझको भुला देना गर दर्द के सबब हूँ
मुझे सोच-सोच जलोगे, फिर दवा क्या हुई.

रविवार, 14 मार्च 2010

मुझे प्यार करना ऐसे मेरे होश छीन लेना

                                   
                                             












मुझे प्यार करना ऐसे मेरे होश छीन लेना
मेरे होश लेने वाले ख़ुद होश में न रहना

तेरे साँसों की तपिश में इनकार बहते जायें
मेरे दिल ज़रा सँभलना तुझे आज है बहकना

बेक़ाबू लब ये मेरे कहीं बोल न पड़ें कुछ
इन्हें कौन अब सिखाये ख़ामोश हिलते रहना

अरमान सभी दिल के, हो जायें आज पूरे
मेरी हसरतों के सीने पर हाथ अपना रखना

मेरी जाना बंदिशों की परवाह तुम न करना
ये रात ढल भी जाये तुम प्यार करते रहना


तू नहीं तो ज़िन्दगी में कुछ कमी सी है


 तू नहीं तो ज़िन्दगी में कुछ कमी सी है
तेरी याद भी जैसे एक दिल्लगी सी है

जिन बाग़-खेतों में कभी तू आया करती थी
उन राह औ’ मंज़र को तेरी तिश्नगी सी है

हाल-ए-दिल सुना किये कल तलक ग़ैर भी
तेरे बाद अपनों को भी अब बेरुख़ी सी है

अब मेरा नाम तक मुझको न याद रहता है
अब क्या कहूँ कि कैसी यह बेख़ुदी सी है

दिल को जब मैंने कहा कि तू चली गयी
                                                                              धड़कनों को तभी से कुछ बेसब्री सी है

बाकी है

अभी तो मन मे मेरे कुछ गुमान बाकी है,
सवाल तेरे मेरे दरमियान बाकी है !
नही अभी तो नही खत्म ज़िन्दगी होगी,
अभी तो मेरे कई इम्तिहान बाकी है !
सुबूत इसके सिवा दोस्ती का क्या दूँ मै,
अभी तो चोट के गहरे निशान बाकी है !
जो एक आसमाँ टूट भी गया है तो क्या,
अभी तो सर पे कई आसमान बाकी है!!!!

शनिवार, 13 मार्च 2010

कुछ कमी सी है

युँ तो बहुत कुछ है पास मेरे फिर भी कुछ कमी सी है
घिंरा हूँ चारो तरफ़ मुस्कुराते चेहरो से
फिर भी जिन्दगी में उजाले भरने वाली उस मुस्कुराहट की कमी सी है
दिख रही है पहचान अपनी ओर उठते हर नज़र में
फिर भी दिल को छु लेने वालि उस निगाह की कमी सी है
गुँज़ता है हर दिन नये किस्सो, कोलाहल और ठहाको से
फिर भी कानो में गुनगुनाति उस खामोशी कि कमी सी है
बढ़ रहे है कदम मेरे पाने को नयी मन्ज़िलें
फिर भी इन हाथो से छुट चुके उन नरम हाथो की कमी सी है.

हमेशा हँसते रहो, हँसना ज़िन्दगी की जरूरत है,
जिन्दगी जियों इस अन्दाज़ में कि आप को देंखकर लगे की
जिन्दगी कितनी खूबसूरत है...

रविवार, 7 मार्च 2010

what ll be the future of india ????

                                                                  
दोस्तों क्या आपने तारे जमीन पर देखि है .......नहीं देखि तो एक बार जरुर देखना . वास्तव में मेकाले education सिस्टम ने भारत कि कमर तोड़ के रख दी है . बस पड़ो वरना जिंदगी में कुछ नहीं कर पाओगे के डर ने बच्चो कि मानसिकता को मशीन बना कर रख दिया है . बड़ा दर्द होता है आज के बच्चो को देख कर ...क्या यही हमारे भारत के भविष्य है . बड़ा अफसोश होता है आज के बच्चो को देख कर . आज के बच्चे भरी भरकम बेग के बोझ तले , बाल्यावस्था में ही झुके हुए कंधे तो क्या खाक देश का सर उचा करेंगे . क्लास में फर्स्ट आने का , होम वर्क का मानसिक दबाव लिए क्या खाक चिंता करेंगे देश की . कहा तो हम दिन भर खेल कूद करते थे , शारीर हष्ट पुष्ट मानसिक रूप से दृढ . बचपन में किसी से नहीं डरते थे , अकेले ही कही भी फक्कड़ मोला की तरह घूमते थे . तब जाकर आज खुली विचार धरा के हुए और देश और समाज के विकास में आसक्ति है .
लेकिन आज के बच्चे संकुचित और स्वार्थी विचार धरा के हो गए है . उन्हें उनके खुद के carrier की इतनी चित अहै की देश और समाज की बात तो बहुत दूर की हुई . आपने आप से ही संघर्ष करते हुए पाए जाते है . शारीरिक और मानसिक रूप से भी अस्वस्थ है . आज कोई भी गाव का लड़का देख ले और एक शेहेर के लड़के में जमीन आसमान का अंतर है . शेहेर के बच्चे जमीन से जुड़े नहीं  होते . आपने ज्ञान का उन्हें बहुत घमंड होता है . कई बार मेने देखा है यदि कोई कुछ कहेता है तो उसकी बात को जल्दी adopt  नहीं करते है और बस अपनी मनवाने पर तुले होते है . कभी भी कही जल्दी से adjust  नहीं हो पाते है.
विचारशीलता नाम की कोई चीज़ ही नहीं बचती है उनमे .
सच पुचो तो उन्हें देख कर एक अजीब सी चिता छा जाती है मन को . की क्या होगा हमारे समाज का . क्या हमारी संस्कृति भी पचात्य देशो की तरह हो जाएगी ????
कही न कही में इसका जिम्मेदार हमारे समाज को भी समझता हु . हमारे समाज में हम पर कई पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ साथ ये बोझ भी होता है की लोग क्या कहेंगे ..जिसको वहां करना सच में बहुत मुश्किल होता है . आधे लोग तो जिंदगी इसीलिए सुखी नहीं जी पाते है की लोग क्या कहेंगे . जैसे जब मेने १२ वी पास करी तब में समाज सेवा के शेत्र में जाना चाहता था . लेकिन घर में सभी बड़े बड़े इंजिनियर तो फिर एक मानसिक दबाव के तहत मेने engg  की . उसमे भी में चाहता था की mechanical  से करू लेकिन उस समय बूम computer sc .  का था तो सबने कहा वो लो वर्ना नोकरी के लिए भटकना पड़ेगा . फिर वो लिया . अब programming  मेरे दिमाग में गुस्ती ही नहीं है लेकिन फिर भी जॉब करना है वर्ना लोग क्या कहेंगे की engg  करने के बाद भी कुछ नहीं कर रहा है . इस तरह हम्मे कुछ  नया करने की काबिलियत और जज्बा  होने के बाद भी बस किन्ही सामाजिक कारणों से दबे हुए है .
 न जाने कब वो दिन आएंगे की हर व्यक्ति अपनी रूचि अनुसार कार्य कर सकेगा और वहा पर भी उसे उचित exposer  मिलेगा . हमें इस बारे में विचार करना हो गा . क्युकी चलो आज यदि में आपने मन की भी करता हु तो उस शेत्र में उचित exposer न होने के कारण मेरे परिवार का क्या होगा ??? 

meri kalam se ....

hi frends ....i knw no one is here but may be some one hear me . चलो मेरी तन्हाई ही सही . आज कोई तो है जो मेरे दिल को समझ सकता है . कहेने को तो एक आम इंसान ही हु , पर पाता नहीं यारो खुद को क्या समझता हु . न जाने क्यों दुनिया को अपनी नज़रो से देखना चाहता हु . शायद जज्बाती हु . भविष्य कि कोई प्लानिंग नहीं और आज का कोई ठिकाना नहीं . जाना कही और चाहता हु पर पर जिंदगी लेकर किसी और मोड़ पर जा रही है . बहुत परेशान हु यार .
जिंदगी में बहुत कुछ करना चाहता हु , लेकिन वो कहेते है कि कभी किसी को मुक्कमल जहा नहीं मिलता . यही मेरे साथ भी न हो बस इसी का डर हमेशा रहेता है .
करना चाहता हु दिल कि लेकिन जिम्मेदारियों के भोझ ने इस कदर परेशान करके रखा है कि जीते जी सुकून नहीं है . समझ नहीं आता क्या करू . बस भगवन से यही प्रार्थना है कि मुझे सिर्फ एक मोका दे दो . फिर देखो जो सोचा है उसे करके दिखाऊंगा .
oh life ! pls give me one chance i want to prove my self .

शनिवार, 6 मार्च 2010

माँ मुझे तुम हमेशा याद आती हो ..............

 



माँ मुझे तुम हमेशा याद आती हो

क्या अभी भी तुम कोई लोरी सुनाती हो

जानती हो जब भी मैं होता हूँ दुविधा में

तुम ही हो हर बार जो मुझको बचाती हो

आज भी मन मेरा बहुत उदास है

माँ , माँ का गोद होता कितना खास है

काश होती तुम तो कर लेती दुःख हरण

माँ तुम्हारे प्यार को तरस गए नयन

माँ मेरा अनुरोध है एक बार आ जाओ

बुझ गया जो ज्योत मन में फिर जला जाओ

कुछ करो माँ तुम हमेशा साथ ही रहो

वचन देता हूँ मानूंगा जो भी तुम कहो

टूट जाऊंगा मैं माँ आजाओ तुम यहाँ

चरणों में ही है तुम्हारे मेरा ये जहाँ .

AAJ KE TIME KA EK SACH....

शहर कि इस दौड मॆ दौड कॆ क‌रना क्या है..
अग‌र यहि जिना है दॊस्तॊ, तॊ फिर म‌रना क्या है..
पहले बरिश मै ट्रैन् लॆट हॊनॆ कि फिक्र है..
भुल गयॆ भिगतॆ हुऎ टहलना क्या हॊता है..
सिरिअल्स कॆ किरदारॊ का सारा हाल है मालुम..
पर मा का हाल पुछनॆ कि पुरसत कहा है..?
अब रॆत पॆ नन्गै पैर ट‌ह‌ल‌तॆ क्यॊ नही..?
108 है चैनल प‌र‌ दिल बहलतॆ क्यॊ नही..?
इन्ट‌र‌नॆट पॆ सारी दुनिया सॆ तॊ ट‌च मैन् है
लॆकीन‌ पडॊस मै कौन रहता है जानतॆ तक नही.
मॊबाईल,लैन्डलाईन स‌ब की भरमार् है..
लॆकीन‌ जीगरी दॊस्त तक पहुचॆ ऐसॆ तार कहा है..?
कब डूबतॆ हुऎ सुरज कॊ दॆखा था याद है.??
कब जाना था वॊ शाम का गुजरना क्या है..??
तॊ दॊस्तॊ शहर कि ईस दौड‌ मै दौड कॆ करना क्या है..
अग‌र‌ यही जीना है तॊ मरना क्या है

Life me Hai kuch Kammi Si

युँ तो बहुत कुछ है पास मेरे फिर भी कुछ कमी सी है
घिंरा हूँ चारो तरफ़ मुस्कुराते चेहरो से
फिर भी जिन्दगी में उजाले भरने वाली उस मुस्कुराहट की कमी सी है
दिख रही है पहचान अपनी ओर उठते हर नज़र में....
फिर भी दिल को छु लेने वालि उस निगाह की कमी सी है
गुँज़ता है हर दिन नये किस्सो, कोलाहल और ठहाको से
फिर भी कानो में गुनगुनाति उस खामोशी कि कमी सी है
बढ़ रहे है कदम मेरे पाने को नयी मन्ज़िलें
फिर भी इन हाथो से छुट चुके उन नरम हाथो की कमी सी है

एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..

एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..
खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं..

दोस्तॊं से दोस्ती तो हर कोई निभाता है..
दुश्मनों को भी अपना दोस्त बनाना चाहता हूं, मैं..

जो हम उडे ऊचाई पे अकेले, तो क्या नया किया..
साथ मे हर किसी के पंख फ़ैलाना चाह्ता हूं, मैं..

वोह सोचते हैं कि मैं अकेला हूं उन्के बिना..
तन्हाई साथ है मेरे, इतना बताना चाह्ता हूं..

ए खुदा, तमन्ना बस इतनी सी है.. कबूल करना..
मुस्कुराते हुए ही तेरे पास आना चाह्ता हूं, मैं..

बस खुशी हो हर पल, और मेहकें येह गुल्शन सारा "अभी"..
हर किसी के गम को, अपना बनाना चाह्ता हूं, मैं..

एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..
खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं***

मुज़् सॆ नाराज् हॊ तॊ

mujhse naraz ho ...to ho jao! khud se lekin khafa khafa na raho! mujhse tum dur jao ...to jao! aap apne se tum juda na raho! mujhpe chahe yekin karo...na karo! tumko khud par magar yekin rahe! sir pe ho asmaan , ya ke na ho! pair ke .

अगर यहि जिना है दॊस्तॊ, तॊ फिर मरना क्या है..

शहर कि इस दौड मॆ दौड कॆ करना क्या है..
अगर यहि जिना है दॊस्तॊ, तॊ फिर मरना क्या है..

पहले बरिश मै ट्रैन् लॆट हॊनॆ कि फिक्र है..
भुल गयॆ भिगतॆ हुऎ टहलना क्या हॊता है..

सिरिअल्स कॆ किरदारॊ का सारा हाल है मालुम..
पर मा का हाल पुछनॆ कि पुरसत कहा है..?

अब रॆत पॆ नन्गै पैर टहलतॆ क्यॊ नही..?
108 है चैनल पर दिल बहलतॆ क्यॊ नही..?

इन्टरनॆट पॆ सारी दुनिया सॆ तॊ टच मैन् है
लॆकीन पडॊस मै कौन रहता है जानतॆ तक नही.

मॊबाईल,लैन्डलाईन सब की भरमार् है..
लॆकीन जीगरी दॊस्त तक पहुचॆ ऐसॆ तार कहा है..?

कब डूबतॆ हुऎ सुरज कॊ दॆखा था याद है.??
कब जाना था वॊ शाम का गुजरना क्या है..??

तॊ दॊस्तॊ शहर कि ईस दौड मै दौड कॆ करना क्या है..
अगर यही जीना है तॊ मरना क्या है?
क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे
यहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होता
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता

जिंदगी जी लेंगें !

हँस के थोड़ी सी जिंदगी जी लेंगें !
कहीं चिंगारी तेरे दिल में भी है,नहीं तो यूँ धुआँ उठता ही नहीं ।है ये उम्मीद कि जी उठेंगें हम,वर्ना मैं तुम पे यूँ मरता ही नहीं ।दिल की ये बात तुमसे कहनी है,वर्ना बात तुमसे कुछ करता ही नहीं ।अपनी तो छोटी सी कहानी है,तुम न सुनते अपनी कहता ही नहीं ।हँस के थोड़ी सी जिंदगी जी लेंगें,तुम न मिलते तो मन यूँ हँसता ही नहीं ।

समझ मुझको उम्र-भर आया नहीं !

उठता रहा दिल से धुआँ,उनको नज़र पर आया नहीं,करता रहा दिल उनसे दुआ,तरस उनको मेरे पर आया नहीं ।मुलाकातें हुईं, कई बातें हुईं,कुछ तुमने कहा, कुछ हमने कहा,जो कहना था, सुनना था हमने मग़र,उसका जिक्र तक आया नहीं ।हम ढूँढें कहाँ, अपनी दर्दे-दवा,कोई मिलता नहीं है अपना यहाँ,हर रस्ता कहे, चल साथ मेरे,इस दिल को सब्र पर आया नहीँ ।कोई जुर्म नहीं, फिर भी मिलती सज़ा,ये कैसी मिली है मुझको कज़ा,हर पल क्यों मरूँ, दे कोई बता,समझ मुझको उम्र-भर आया नहीं ।कोई हो आसमाँ, या हो कोई ज़मीं,जहाँ खुशियाँ मिलें, न हो कोई ग़मीं,मतलब की दुनिया में मुमकिन नहीं,मेरे दिल को नहीं पर आया यकीं ।

ज़िन्दगी जी गए....

आँसू, जिल्लत, ग़म- न जाने क्या–क्या पी गए?मज़ाक ही मज़ाक में हम ज़िंदगी जी गए। सोचा था कभी सुकून से गुज़ारेंगे ज़िंदगी,पर बेकरार, हड़बड़ी में ज़िंदगी जी गए। ख़्वाब में हमनें तुमको था देखना शुरू किया,क्या हो रहा गुरु, सुना और हम सिहर गए। कैसे बताएँ थी ज़िंदगी कितनी कामयाब,बेक़रार– बेखुदी में सब हिसाब भूल गए।

सबसे सस्ता है...

ये खिला हुआ चाँद कहाँ कुछ कहता है,पर कुछ है यह जो मेरे मन में बहता है। वैसे तो हमेशा ही हँसते रहते हैं हम,अब कैसे कहूँ दिल कितना दुखता है। फिर देखने का मन है तुमको लेकिन,लंबा बहुत तुम्हारे घर का रस्ता है। औरों के तो नखरे भी होंगे लेकिन,ले लेना दिल मेरा ये सबसे सस्ता है।

इक मुलाकात ज़रूरी है....

है दिल में ख़वाईश की तुझसे इक मुलाक़ात तो हो,मुलाक़ात ना हो तो फिर मिलने की कुछ बात तो करो,मोती की तरह समेट लिया है जिन्हे दिल-ए-सागर मे,ख़वाब सज़ा के, उन ख्वाबों को रुस्वा ना करो…बहुत अरमान है की फिर से खिले कोई बहार यहाँ,ये मालूम भी है की जा कर वक़्त आया है कहाँ,हवा चलती है तो टूट जाते है ह्रे पत्ते भी तो कई,तो सूखे फूलों से खिलने की तुम इलत्ज़ा ना करो…ना ग़म करना तुम, ना उदास होना कभी जुदाई से,वक़्त क्ट ही जाएगा तुम्हारा मेरी याद-ए-तन्हाई से,ये दुनिया रूठ जाए हमसे तो भले ही रूठी रहे,सच मर जाएँगे हम, तुम सनम रूठा ना करो…लम्हा दर लम्हा बसे रहते हो मेरे ख़यालों मे,ज़िक्र तुम्हारा ही होता है मेरे दिल के हर सवालों मे,लो लग गयी ना हिचकियाँ तुम्हे अब तो कुछ समझो,कह दो की  मेरे बारे मे इतना सोचा ना करो…

दोस्ती

दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रहने का,बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं,जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की,देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं,येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज,दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं,नाम की तो जरूरत ही नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी,पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं,कौन कहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी,दूर रह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं,सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते हैं अलग-अलग,दर्द हो इनको ओर, आंसू हमारे आते हैं,माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये,पर हम तो दोस्ती में अपना सिर झुकाते हैं,ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि,भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं...
ऐसे चुप हैं के ये मंजिल भी खड़ी हो जैसे, तेरा मिलना भी जुदाई की घड़ी हो जैसे,
अपने ही साए से हर गम लरज़ जाता हूँ, रस्ते में कोई दिवार खड़ी हो जैसे,
मंजिल दूर भी है, मंजिल नज़दीक भी है, अपने ही पाऊँ में ज़ंजीर पड़ी हो जैसे,
कितने नादान हैं तेरे भुलाने वाले के तुझे, याद करने के लिए उम्र पड़ी हो जैसे,
आज दिल खोल के रोया है दोस्त तो यूँ खुश है, चंद लम्हों की ये रात भी बड़ी हो जैसे...

आँखें...!!!

तेरी एक मद्धम मुस्कान देखने को तरस गयी मेरी आखें अब तो बोल दे दो लफ्ज़ मोहब्बत के तरस गयी है मेरी आखें दिखाया बहुत दुनिया ने देखती है सब तरसती आखें तुझसे प्यार के दोलफ्ज़ सुनने को तरस गई है मेरी आखें मचलती थी दीवानगी में तेरी सिर्फ़ तेरे लिए तरसती हैं ये आखें इश्क़ के जुनून से भारी थी तेरे ऐतबार को तरस गाये मेरी आखें सुना दे अपने नैनों से तेरे नैनों की झलक को तरस गाये मेरी आखें पीला दे दो घुट जाम के तेरी नशे को तरस गयी ये आखें डूबी रहे थी ख़यालो मैं तेरे तेरे ख्वाबों को तरस गाये ये आखें आजा आज कहे दे तू दिल से कुछ तेरे बाहों में झूमने को तरस गयी ये आखें .....

प्यार..इश्क और मोहब्बत....

इक लफ़्ज़े-मोहब्बत का अदना सा फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
ये किस का तसव्वुर है ये किस का फ़साना है जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना है
हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़साना है रोने को नहीं कोई हँसने को ज़माना है
वो और वफ़ा-दुश्मन मानेंगे न माना है सब दिल की शरारत है आँखों का बहाना है
क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है
वो हुस्न-ओ-जमाल उन का ये इश्क़-ओ-शबाब अपनाजीने की तमन्ना है मरने का ज़माना है
या वो थे ख़फ़ा हम से या हम थे ख़फ़ा उन से कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है
अश्कों के तबस्सुम में आहों के तरन्नुम में मासूम मोहब्बत का मासूम फ़साना है
आँखों में नमी सी है चुप-चुप से वो बैठे हैं नाज़ुक सी निगाहों में नाज़ुक सा फ़साना है
है इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा हाँ इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा आज एक सितमगर को हँस हँस के रुलाना है
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना तो समझ लीजे एक आग का दरिया है और डूब के जाना है
आँसू तो बहोत से हैं आँखों में 'जिगर' लेकिन बिंध जाये सो मोती है रह जाये सो दाना है

काश....!!!

ना समझ सका मैं खुद जिसको अधखुला राज़ अनकही बात मैं काश़ तुम्हे समझा पाता तेरी नज़रों के दो सवाल दो प्रश्नचिन्ह जिनके जवाब मैं काश़ कभी लौटा पाता कच्चे धागे इन सपनों के उलझे उलझे सुलगे सुलगे मैं काश़ कभी सुलझा पाता जुगनू बिखराती चाँद रात हाथों में हाथ दो पल का साथ मैं काश कभी दोहरा पाता ख़्वाबों से महकी सरज़मीं वो दिलनशीं कितनी हसीं मैं काश तुम्हे दिखला पाता वो गया मोड़ हम साथ छोड़ हैं अलग अलग इक कड़वा सच मैं काश इसे झुठला पाता

हमसे भागा करो न दूर....

हम से भागा न करो दूर ग़ज़ालों की तरह हमने चाहा है तुम्हें चाहने वालों की तरह
ख़ुद-ब-ख़ुद नींद-सी आँखों में घुली जाती है महकी महकी है शब-ए-ग़म तेरे बालों की तरह
और क्या इस से ज़्यादा कोई नर्मी बरतूँ दिल के ज़ख़्मों को छुआ है तेरे गालों की तरह
और तो मुझ को मिला क्या मेरी मेहनत का सिला चंद सिक्के हैं मेरे हाथ में छालों की तरह
ज़िन्दगी जिस को तेरा प्यार मिला वो जाने हम तो नाकाम रहे चाहने वालों की तरह...

रखा है...

कौन कहता है तुझे मैनें भुला रखा है तेरी यादों को कलेजे से लगा रखा है
लब पे आहें भी नहीं आँख में आँसू भी नहीं दिल ने हर राज़ मुहब्बत का छुपा रखा है
तूने जो दिल के अंधेरे में जलाया था कभी वो दिया आज भी सीने में जला रखा है
देख जा आ के महकते हुये ज़ख़्मों की बहार मैनें अब तक तेरे गुलशन को सजा रखा है

आज का ज़माना

ज़माना आज नहीं डगमगा के चलने का
सम्भल भी जा कि अभी वक़्त है सम्भलने का
बहार आये चली जाये फिर चली आये
मगर ये दर्द का मौसम नहीं बदलने का
ये ठीक है कि सितारों पे घूम आये हैं मगर
किसे है सलीका ज़मीं पे चलने का
फिरे हैं रातों को आवारा हमने देखा है
गली गली में समाँ चाँद के निकलने का

हर लफ़्ज तेरे जिस्म की खुशबू में ढला है

हर लफ़्ज तेरे जिस्म की खुशबू में ढला है
ये तर्ज़, ये अंदाज़-ए-बयां हमसे चला है
अरमान हमें एक रहा हो तो कहें भी
क्या जाने, ये दिल कितनी चिताओं में जला है
अब जैसा भी चाहें जिसे हालात बना दें
है यूँ कि कोई शख़्स बुरा है, न भला है
सुनते हैं दर्द-ए-मोहब्बत दिल को तोड़ देती है
पर क्या करें अब ये दर्द इस दिल में पला है...

ऐ दर्द-ए-इश्क़ तुझसे मुकरने लगा हूँ मैं

ऐ दर्द-ए-इश्क़ तुझसे मुकरने लगा हूँ मैं
मुझको सँभाल हद से गुज़रने लगा हूँ मैं
पहले हक़ीक़तों ही से मतलब था, और अब
एक-आध बात फ़र्ज़ भी करने लगा हूँ मैं
हर आन टूटते ये मोहब्बत के सिलसिले
लगता है जैसे आज बिखरने लगा हूँ मैं
लोग कहते थे मेरा सुधरना मुहाल था
तेरा कमाल है कि सुधरने लगा हूँ मैं
इतनों का प्यार मुझसे सँभाला न जायेगा !
लोगो ! तुम्हारे प्यार से डरने लगा हूँ मैं
कभी ना झुका जो सर किसी के भी सामने
गलियों से सर झुका के गुज़रने लगा हूँ मैं

वो आँख अभी दिल की कहाँ बात करती है

वो आँख अभी दिल की कहाँ बात करती है
कमबख्त मिलती है तो सवालात करती है
वो लोग जो ताउम्र सच्चा प्यार निभाते थे
इस दौर में तू उनकी कहाँ बात करती है
क्या सोचती है, मैं रात में क्यों जाग रहा हूँ
तू कौन है जो मुझसे सवालात करती है
कुछ जिसकी शिकायत है न कुछ जिसकी खुशी है
ये कौन-सा बर्ताव मेरे साथ करती है
दिल थाम लिया करते हैं सोच उन लम्हों को
जब रात गये तेरी साँसें बात करती है
हर लफ़्ज़ को छूते हुए जो काँप न जाये
बर्बाद वो अल्फ़ाज़ की औक़ात करती है
हर चन्द नया लफ्ज़ दिया, हमने ग़ज़ल को
पर आज भी दिल में वही इक वास करती है

ऐसा ही न हो....!!!

ज़िन्दगी ये तो नहीं, तुझको सँवारा ही न हो
कुछ न कुछ हमने तेरा क़र्ज़ उतारा ही न हो
दिल को छू जाती है यूँ रात की आवाज़ कभी
चौंक उठता हूँ कहीं तूने पुकारा ही न हो
कभी पलकों पे चमकती है जो अश्कों की लकीर
सोचता हूँ तेरे आँचल का किनारा ही न हो
ज़िन्दगी एक ख़लिश दे के न रह जा मुझको
दर्द वो दे जो किसी तरह गवारा ही न हो
शर्म आती है कि उस शहर में हम हैं कि जहाँ
न मिले भीख तो लाखों का गुज़ारा ही न हो

हमने काटी हैं तेरी याद में रातें अक्सर

हमने काटी हैं तेरी याद में रातें अक्सर
दिल से गुज़री हैं सितारों की बारातें अक्सर
और तो कौन है जो मुझको तसल्ली देता
हाथ रख देती हैं दिल पर तेरी बातें अक्सर
हाल कहना है किसी से तो मुख़ातिब हो कोई
कितनी दिलचस्प, हुआ करती हैं बातें अक्सर
हम से इक बार भी जीता है न जीतेगा कोई
वो तो हम जान के खा लेते हैं मातें अक्सर
उनसे पूछो कभी चेहरे भी पढ़े हैं तुमने
जो किताबों की किया करते हैं बातें अक्सर
हमने उन तेज़ हवाओं में जलाये हैं चिराग़
जिन हवाओं ने उलट दी हैं बिसातें अक्सर

अपने चाँद का मैं इन्तज़ार करता हूँ

इस चाँदनी रात मे मै भी एक चाँद का इन्तज़ार करता हूँ,धरती पर वो चाँद भी मुझे ढूँढ रहा है,इन तारों की इस बात का मै ऐतबार करता हूँ,मेरे पास अक्षर कुछ कम हैं,वरना अपने चाँद के बारे मे तुम्हे बताता,वो आज मेरे पास होता तो तुम्हे उससे मिलाता,कि आखिर क्या है उसमे कि अपना दिल उस पर निसार करता हूँ,बस नाम ना पूछना उस चाँद का,वो मैं तुम्हे ना बता पाऊँगा,अगर ज़िद्द करोगे, बस कुछ निशानियाँ तुम्हे दे जाऊँगा,वो चाँद शर्माता है पर जल्द ही नाराज़ भी हो जाता है,मओं उसकी ऐसी हर अदा से प्यार करता हूँग़मो के अँधेरे से निकाल कर उसने मुझे हँसी की चाँदनी दी है,मेरी कविता के काले पड़ते अक्षरों कोरंगीन पन्ने और सतरंगी स्याही दी है,बस इन्ही शब्दों के कुछ फूल बना करउनके गले का मैं हार करता हूँ,पर शायद आसमाँ के इस चाँद की तरह,इस चाँद के मेरे जैसे प्यार लुटाते कई तारे हैं,पर एक दावा करता हूँ मैं,कोई ख्वाईश तो ज़ाहिर करें वो,अपने दिल को एक टूटता तारा बनाने को मैं तैयार करता हूँऐ आसमाँ के हंसी तारों,अपनी आँखे बन्द कर अपने चाँद से आँखें मैं चार करता हूँ

मुझे सब पता है,,,,!!!!

ज़िंदगी की भीड़ में के अजनबी मिला ,फिर पास आया मेरे और ज़िंदगी बना !
कुछ दिन तो मेरे साथ चला दोस्त बनके वो ,फिर भी हर मोड़ पर कुछ फासला रहा !
जिसका हुआ तुझे कभी एहसास तक नही ,वो दर्द हमने ज़िंदगी का बेइन्तहा सहा !
इए दोस्त तेरे दिल की कसक जानता हूँ मैं ,गर मैं नही तो चैन से तू भी नही रहा !

एक मोड़ पे खड़ा राही...

एक राही, दोराहे पर खड़ा, एक नए मोड़ की ओर देख रहा है, अपने आने वाले कल के कुछ सुनहरे सपने देख रहा है, एक नई आशा, नई उमगों के साथ, वो नया मोड़ उसको बुला रहा है, हर पल एक नया आकर्षण, एक नया लोभ, एक सम्मोहन की तरह उस पर फैला रहा है, राही भी तैयार है अपनी राह बदलने के लिए, उस पुरानी राह को छोड़, उस नए मोड़ पर मुड़ने के लिए, तभी मानो किसी ने उसे एक करुण आवाज़ मे बुलाया, मैं तुम्हारी राह हूँ, अपना परिचय कराया,तुम्हारे आज तक के सफर मे मैने तुम्हारा पूरा साथ निभाया है, तुम्हे यहाँ तक पहुँचाने के लिए मैने अपना आप गँवाया है, तुम्हारे जीवन के हर दुख पर आँसू बहाये हैं, तुम्हारी हर तकलीफ को अपना समझ कर अपनाया है, तुम्हारी हर सफलता मे मैने भी खुशियाँ मनाई हैं, एक त्योहार की तरह अपनी ज़िन्दगी सजाई है, आज एक नई राह का आकर्षन तुम्हे खीँच रहा है, एक नई मंज़िल का ख्वाब तुम्हारे मन मे सीँच रहा है, उस नई राह को अपनाने के लिए तुम मेरा त्याग कर रहे हो, मेरे हर बलिदान को खुद की सफलता से अलग कर रहे हो, वो राही, निस्तब्ध खड़ा, अभी तक उस राह की बातें सुन रहा था, अपने ऊपर लग रहे आरोपों की आग मे भुन रहा था, उन आरोपों से दुखी उस राही ने प्रत्युत्तर दिया, अपने इरादों को उस राह के आगे स्पष्ट किया, ऐसा नहीं कि अपनी सफलताओं को तुमसे मैं कभी अलग कर पाऊँगा, या अपने जीवन को तुम्हारे बलिदानों से ऋण मुक्त कर पाऊँगा, तुम्हारे प्यार और मार्गदर्शन के बिना मेरा जीवन तो क्या मैं भी व्यर्थ हूँ, पर सदा एक राह पर चलने मे मैं असमर्थ हूँ, ऐसा नहीं कि तुम पर चल कर अपनी मंज़िल ना पाऊँगा, पर इस राह का प्रयोग कर कुछ जल्दी अपनी मंज़िल की ओर अग्रसर हो जाऊँगा, सबकी आँखों मे कुछ सपने सँजोए होते हैं, उनको पूरा करने के लिए प्रयास और साधन बढ़ाने पड़ते हैं, बस इसी आशा मे मै यहाँ से मुड़ रहा हूँ, कुछ नई खुशियों की तलाश मे नई राह से जुड़ रहा हूँ, ऐसा नहीं कि इस पुरानी राह की यादें मैं भूल जाऊँगा या पीछे मुड़े बिना आगे ही आगे बढ़ते चले जाऊँगा और ये भी ज़रूरी नहीं कि राह एक बार अलग हो तो दोबारा जुड़ नहीं सकती, यहाँ मोड़ आ गया तो दोबारा पुरानी दिशा की ओर मुड़ नहीं सकती, यहाँ अलग हो रहा हूँ, पर किसी और मोड़ पर तुमसे ज़रूर मिलूँगा, कुछ नई यादें इकट्ठा करने, इन यादों को ताज़ा करने, आज नहीं तो कल ज़रूर तुमसे फिर जुड़ुँगा...

एक दोस्त बहुत याद आता है...

आज बिछड़ा हुआ एक दोस्त बहुत याद आया,अच्छा गुज़रा हुआ कुछ वक्त बहुत याद आया,कुछ लम्हे, साथ बिताए कुछ पल,साथ मे बैठ कर गुनगुनाया वो गीत बहुत याद आया,इक मुस्कान, इक हँसी, इक आँसू, इएक दर्द,वो किसी बात पे हँसते हँसते रोना बहुत याद आया,वो रात को बातों से एक दूसरे को परेशान करना,आज सोते वक्त वही ख्याल बहुत याद आया,कुछ कह कर उसको चिढ़ाना और उसका नाराज़ हो जाना,देख कर भी उसका अनदेखा कर परेशान करना बहुत याद आया,मुझे उदास देख उसकी आँखें भर आती हैं,आज अकेला हूँ तो वो बहुत याद आया,मेरे दिल के करीब थी उसकी बातें,जब दिल ने आवाज़ लगाई तो बो बहुत याद आया,मेरी ज़िन्दगी की हर खुशी मे शामिल उसकी मौजूदगी,आज खुश होने का दिल किया तो वो बहुत याद आया,मेरे दर्द को अपनानाने का दावा था उसका,मुझ से अलग हो मुझे दर्द देने वाला बहुत याद आया,मेरी कविता पर कभी हँसना तो कभी हैरान हो जाना,सब समझ कर भी अन्जान बने रहना बहुत याद आया,उन पुरानी तस्वीरों को लेकर बैठा हूँ आज,फिर मिलने की उम्मीद देकर उसका अलविदा कहना बहुत याद आया,

ये बड़ी अजीब सी बात है....

ये बड़ी अजीब बात है,जिसने साथ छोड़ दिया, आज वही मेरे साथ है,भुलाने की कोशिश कर रहा था,पर दिल की गहराइयों मे दबे कई जज़बात हैं,कुछ यादें, कुछ बातें,कुछ साथ बिताए दिन, कुछ जाग कर कटी रातें,सब छूट गया सा लगता है,पिर भी जाने मेरे हाथों मे ये किस का हाथ है,उस शाम की याद दिल मे आज भी ताज़ा है,जो बिना कुछ कहे शुरु हुई, और चुप चाप खत्म हो गई,कुछ कहना था शायद उस दिन,फिर आज क्यों होठों पे ठहरी वही बात है,एक दिन कविता सुन के वो हँस दी थी,कहा कि तुम्हारी कविता समझने के लिए भी कोई मेरे साथ चाहिए,तब से अब तक कुछ शब्द और जोड़े हैं उस कविता मे,उन्हे समझने के लिए वो यहीं मेरे साथ है,मै सोचता था कि कुछ ना कहकर भी सब कुछ कह जाऊँगा,और समझ जाएगी वो मेरे दिल की बात,पर देर हो गयी ऐसा कुछ कहने सुनने कि कोशिश मे,आज बदल गए दिन, बदल गए सब हालात हैं,एक बरसात की दोपहर मे,एक झील के किनारे जब हम बैठे थे,कँधे पर सर रख दिया था,कहा कि क्या होगा, अगर कभी हम अलग हो गए,अज तक मेरे साथ वही सवालात हैं,ये बड़ी अजीब बात है,जिसने साथ छोड़ दिया, आज वही मेरे साथ है,

ये बड़ी अजीब सी बात है....

ये बड़ी अजीब बात है,जिसने साथ छोड़ दिया, आज वही मेरे साथ है,भुलाने की कोशिश कर रहा था,पर दिल की गहराइयों मे दबे कई जज़बात हैं,कुछ यादें, कुछ बातें,कुछ साथ बिताए दिन, कुछ जाग कर कटी रातें,सब छूट गया सा लगता है,पिर भी जाने मेरे हाथों मे ये किस का हाथ है,उस शाम की याद दिल मे आज भी ताज़ा है,जो बिना कुछ कहे शुरु हुई, और चुप चाप खत्म हो गई,कुछ कहना था शायद उस दिन,फिर आज क्यों होठों पे ठहरी वही बात है,एक दिन कविता सुन के वो हँस दी थी,कहा कि तुम्हारी कविता समझने के लिए भी कोई मेरे साथ चाहिए,तब से अब तक कुछ शब्द और जोड़े हैं उस कविता मे,उन्हे समझने के लिए वो यहीं मेरे साथ है,मै सोचता था कि कुछ ना कहकर भी सब कुछ कह जाऊँगा,और समझ जाएगी वो मेरे दिल की बात,पर देर हो गयी ऐसा कुछ कहने सुनने कि कोशिश मे,आज बदल गए दिन, बदल गए सब हालात हैं,एक बरसात की दोपहर मे,एक झील के किनारे जब हम बैठे थे,कँधे पर सर रख दिया था,कहा कि क्या होगा, अगर कभी हम अलग हो गए,अज तक मेरे साथ वही सवालात हैं,ये बड़ी अजीब बात है,जिसने साथ छोड़ दिया, आज वही मेरे साथ है,

तमन्ना

ये तमन्ना है के मेरी ज़िन्दगी में आओ और मुझे महोब्बत न करो.......॥
सिवा तुम्हारे कुछ सोचूँ मैं नहीं सोचता हूँ बता दूं मगर रूबरू जब तुम हो तो कुछ बोलूं मैं नहीं... काश ऐसा हो के मैं तुम,तुम मैं बन जाओ और मुझे महोब्बत ना करो......॥ अक्सर देखा है महोब्बत को नाकाम होते हुए साथ जीने के वादे किए फिर तनहा रोते हुए....... जो हमेशा साथ निभाए॥वो तो बस दोस्ती है जो कभी ना रूलाए॥वो तो बस दोस्ती है........ यूँ ही देखा है बचपन की दोस्ती को बूढा होते हूए ना किए कभी वादे॥पर हर वादे को पूरा होते हूए...॥ ये तमन्ना है के मेरी ज़िन्दगी में आओ और मुझे महोब्बत न करो... ये इल्तज़ा है के मेरे दोस्त बन जाओ और मुझे महोब्बत न करो......॥ .................. ............... ......... यूँ ही ता उमर मेरा साथ निभाओ और मुझे महोब्बत न करो............
जिन्दगी की उलझनों में उलझता रहा,
बस उसके प्यार के लिए हरदम तरसता रहा
जानता था वो अब शायद ही कभी मुझे हासिल होगी,
फिर भी झूठे दिलासे से दिल बहलाता रहा,
सोचा था कभी तो वक्त मेरे साथ होगा पर
वो भी रेत कि तरह मेरे हाथ से फिसलता रहा शायद,
खुदा को ये भी नामंजूर था आखों में कैद करूँ उसके अक्स को
इसलिए तो हर लम्हा पानी कि तरह मेरी आखों से बहता रहा !

काश तुम आते एक बार....

काश ! आते तुम एक बार खत्म होता ये इन्तजार……
कहते तुम कुछ अपनी, सुनते कुछ मेरी
रहते हम दोनो, बस अपने मे गुम
काश ! आते तुम एक बार…॥बताते…।
कैसे कटे ये दिन, कैसी गुजरी ये राते
क्यों थी आखो मे नमी, क्यों थी ये सासे थमी
काश ! आते तुम एक बार …………
काश ! तुम आते आज……
मिलती उम्मीद ज़िन्दगी को
जैसे मिलता है पानी प्यासे को
काश ! आते तुम एक बार ………
मालूम है ये दिल को
रहेगा ये सपना अधूरा…
आखो मे एक बूद बन के,
दिल मे दर्द बनके…
फ़िर भी करता है, उम्मीद अधुरी सी…
काश ! आते तुम एक बार
कभी ना जाने के लिए खतम होता
ये इन्तजार…मॊत के आने से पहले॥k

क्या ऐसा होता है प्यार??

चले जो दो कदम तू साथ मेरे तो तेरे साथ से प्यार हो जाए
थामे जो प्यार से हाथ मेरा तो अपने हाथ से प्यार हो जाये …………।
जिस रात आये तू ख्वाबों मे तोउस सुहानी रात से प्यार हो जाए
जिस बात मे आये जिक्र तेरा तो उसी बात से प्यार हो जाये …………………।
जब पुकारे प्यार से नाम तेरा तो अपने ही नाम से प्यार हो जाये……………॥
होता है इतना खूबसूरत ये प्यार अगर तो काश……
तुझे भी मेरे प्यार से प्यार हो जाये

फ़ॉलोअर

Do you like the blog ?