यार कभी कभी सोचता हु में ऐसा क्यों हु . क्यों अलग लोगो की तरह नहीं हु , बिना किसी चिंता बिना किसी सवाल के जीने वाला .
कुछ अपने बारे में ....
- ♥°ღ•मयंक जी●•٠·♥
- नवग्रह की नगरी खरगोन, मध्य प्रदेश, India
- क्या बताऊ खुद को औरो की तरह एक आम इंसान कहेने को जी नहीं चाहता . हु सबसे अलग . सोच है अलग . प्यार करता हु हर इंसान से . झांक कर देखिये मेरे दिल में बहुत जगह है आपके लिए . बहुत सुकून है . AC तो नहीं पर फिर भी ठंडक है . आराम है , प्यार है , सुकून है , अपना पन है , क़द्र है और आपसे बात करने की इच्छा है . बस चले आये बिना कुछ सोचे बिना कुछ विचारे बहार की इस भाग डोर बरी जिंदगी से अलग हटकर एक सुहाने सफ़र पर अपक स्वागत है ..हमारे दिल में .....
मेरे ब्लॉग के बारे में......
ये ब्लॉग मेरे दिल का दरीचा है , दिल की आवाज है . दरीचा याने हमारे घर की खिड़की जहाँ से झांक कर हम हसीं लम्हों को याद करते है . बहारो को निहारते है . और उन हसीं पालो को निगाहों में कैद करते है . उन भूली बिसरी यादो को याद करते है जहाँ रहकर हमने कई हसीं यादगार पल बिताये , वो लम्हे जो हमारी जिंदगी में हमशा एक याद बनकर हमेशा हमें ख़ुशी देते है . वोही है दरीचा ....जहा वख्त थम सा जाता है और हम खो जाते है उन प्यारी प्यारी मधुर यादो में जो हमेशा याद आने पर मन बुदबुदा देती है . हलचल ला देती है .
उन्ही कुछ एहसास को समेटे हुए आपने दिल के दरीचे से आपकी सासों में समां जाएँ बस यही गुजारिश है .
चलो क्यों न इस दुनिया की भाग डोर से अलग हटकर चल पड़े एक ऐसे सफ़र में जहा वक्त ठहर जाता है , हवा मंद मंद हो जाती है , मन खुशियों के हिलोरे लेता है और दिल को सुकून मिलता है , क्यों न खो जाये फिर उस एहेसास में जो तन को इस्फुरित करदे . दिन भर की थकान से दूर एक अनोखे सफ़र स्वागत है आपका . छोड़ दो सारे ग़म , भूल जाओ सारे दुःख क्युकी ये दिन ये समय तुम्हारा है .
दिल में उतर जाने दे इस अहेसास को, दिल की यादो को मन से बहार निकाल कर बांटे मेरे साथ . क्युकी यहाँ कोई आपके एहेसास की क़द्र करता है . और आपके इंतज़ार में बैठा हुआ है ....आपसे मिलने को बेक़रार है . बेक़रार है आपसे बाते करने को , आपके सुख दुःख का हम राहि बन्ने को . आपका दोस्त ............राहुल <मयंक >
तो चले एक नए सफ़र पर आपकी यादों की झील में मेरी अभिवयक्ति की पतवार पर सवार होकर ....... धन्यवाद
बुधवार, 24 मार्च 2010
यार कभी कभी सोचता हु में ऐसा क्यों हु . क्यों अलग लोगो की तरह नहीं हु , बिना किसी चिंता बिना किसी सवाल के जीने वाला .
गुरुवार, 18 मार्च 2010
"Look, I dont want to wax philosophic, but I will sat that if u r alive u've got to flap ur arms n legs, u've got to jump around a lot 4 lyf is da very opposite of death n therefore u must at very least think noisy n colorfully or u r not alive"
"I arise in the morning torn between a desire to improve the world and a desire to enjoy the world. This makes it hard to plan the day."
"I don't want to achieve immortality through my work. I want to achieve it through not dying."
"Music was my refuge. I could crawl into the space between the notes and curl my back to loneliness. Music washes away from the soul the dust of everyday life. It is cruel, you know, that music should be so beautiful. It has the beauty of loneliness of pain: of strength and freedom. The beauty of disappointment and never-satisfied love. The cruel beauty of nature and everlasting beauty of monotony. Who hears music feels his solitude peopled at once. Music is well said to be the speech of angels. Music is love in search of a word."
सोमवार, 15 मार्च 2010
नफ़रत करो मुझसे पर इतना बता देना
मुझे सोच-सोच जलोगे, फिर दवा क्या हुई.
रविवार, 14 मार्च 2010
मुझे प्यार करना ऐसे मेरे होश छीन लेना
मुझे प्यार करना ऐसे मेरे होश छीन लेना
मेरे होश लेने वाले ख़ुद होश में न रहना
तेरे साँसों की तपिश में इनकार बहते जायें
मेरे दिल ज़रा सँभलना तुझे आज है बहकना
बेक़ाबू लब ये मेरे कहीं बोल न पड़ें कुछ
इन्हें कौन अब सिखाये ख़ामोश हिलते रहना
अरमान सभी दिल के, हो जायें आज पूरे
मेरी हसरतों के सीने पर हाथ अपना रखना
मेरी जाना बंदिशों की परवाह तुम न करना
ये रात ढल भी जाये तुम प्यार करते रहना
तू नहीं तो ज़िन्दगी में कुछ कमी सी है
बाकी है
सवाल तेरे मेरे दरमियान बाकी है !
नही अभी तो नही खत्म ज़िन्दगी होगी,
अभी तो मेरे कई इम्तिहान बाकी है !
सुबूत इसके सिवा दोस्ती का क्या दूँ मै,
अभी तो चोट के गहरे निशान बाकी है !
जो एक आसमाँ टूट भी गया है तो क्या,
अभी तो सर पे कई आसमान बाकी है!!!!
शनिवार, 13 मार्च 2010
कुछ कमी सी है
घिंरा हूँ चारो तरफ़ मुस्कुराते चेहरो से
फिर भी जिन्दगी में उजाले भरने वाली उस मुस्कुराहट की कमी सी है
दिख रही है पहचान अपनी ओर उठते हर नज़र में
फिर भी दिल को छु लेने वालि उस निगाह की कमी सी है
गुँज़ता है हर दिन नये किस्सो, कोलाहल और ठहाको से
फिर भी कानो में गुनगुनाति उस खामोशी कि कमी सी है
बढ़ रहे है कदम मेरे पाने को नयी मन्ज़िलें
फिर भी इन हाथो से छुट चुके उन नरम हाथो की कमी सी है.
हमेशा हँसते रहो, हँसना ज़िन्दगी की जरूरत है,
जिन्दगी जियों इस अन्दाज़ में कि आप को देंखकर लगे की
जिन्दगी कितनी खूबसूरत है...
रविवार, 7 मार्च 2010
what ll be the future of india ????
दोस्तों क्या आपने तारे जमीन पर देखि है .......नहीं देखि तो एक बार जरुर देखना . वास्तव में मेकाले education सिस्टम ने भारत कि कमर तोड़ के रख दी है . बस पड़ो वरना जिंदगी में कुछ नहीं कर पाओगे के डर ने बच्चो कि मानसिकता को मशीन बना कर रख दिया है . बड़ा दर्द होता है आज के बच्चो को देख कर ...क्या यही हमारे भारत के भविष्य है . बड़ा अफसोश होता है आज के बच्चो को देख कर . आज के बच्चे भरी भरकम बेग के बोझ तले , बाल्यावस्था में ही झुके हुए कंधे तो क्या खाक देश का सर उचा करेंगे . क्लास में फर्स्ट आने का , होम वर्क का मानसिक दबाव लिए क्या खाक चिंता करेंगे देश की . कहा तो हम दिन भर खेल कूद करते थे , शारीर हष्ट पुष्ट मानसिक रूप से दृढ . बचपन में किसी से नहीं डरते थे , अकेले ही कही भी फक्कड़ मोला की तरह घूमते थे . तब जाकर आज खुली विचार धरा के हुए और देश और समाज के विकास में आसक्ति है .
लेकिन आज के बच्चे संकुचित और स्वार्थी विचार धरा के हो गए है . उन्हें उनके खुद के carrier की इतनी चित अहै की देश और समाज की बात तो बहुत दूर की हुई . आपने आप से ही संघर्ष करते हुए पाए जाते है . शारीरिक और मानसिक रूप से भी अस्वस्थ है . आज कोई भी गाव का लड़का देख ले और एक शेहेर के लड़के में जमीन आसमान का अंतर है . शेहेर के बच्चे जमीन से जुड़े नहीं होते . आपने ज्ञान का उन्हें बहुत घमंड होता है . कई बार मेने देखा है यदि कोई कुछ कहेता है तो उसकी बात को जल्दी adopt नहीं करते है और बस अपनी मनवाने पर तुले होते है . कभी भी कही जल्दी से adjust नहीं हो पाते है.
विचारशीलता नाम की कोई चीज़ ही नहीं बचती है उनमे .
सच पुचो तो उन्हें देख कर एक अजीब सी चिता छा जाती है मन को . की क्या होगा हमारे समाज का . क्या हमारी संस्कृति भी पचात्य देशो की तरह हो जाएगी ????
कही न कही में इसका जिम्मेदार हमारे समाज को भी समझता हु . हमारे समाज में हम पर कई पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ साथ ये बोझ भी होता है की लोग क्या कहेंगे ..जिसको वहां करना सच में बहुत मुश्किल होता है . आधे लोग तो जिंदगी इसीलिए सुखी नहीं जी पाते है की लोग क्या कहेंगे . जैसे जब मेने १२ वी पास करी तब में समाज सेवा के शेत्र में जाना चाहता था . लेकिन घर में सभी बड़े बड़े इंजिनियर तो फिर एक मानसिक दबाव के तहत मेने engg की . उसमे भी में चाहता था की mechanical से करू लेकिन उस समय बूम computer sc . का था तो सबने कहा वो लो वर्ना नोकरी के लिए भटकना पड़ेगा . फिर वो लिया . अब programming मेरे दिमाग में गुस्ती ही नहीं है लेकिन फिर भी जॉब करना है वर्ना लोग क्या कहेंगे की engg करने के बाद भी कुछ नहीं कर रहा है . इस तरह हम्मे कुछ नया करने की काबिलियत और जज्बा होने के बाद भी बस किन्ही सामाजिक कारणों से दबे हुए है .
न जाने कब वो दिन आएंगे की हर व्यक्ति अपनी रूचि अनुसार कार्य कर सकेगा और वहा पर भी उसे उचित exposer मिलेगा . हमें इस बारे में विचार करना हो गा . क्युकी चलो आज यदि में आपने मन की भी करता हु तो उस शेत्र में उचित exposer न होने के कारण मेरे परिवार का क्या होगा ???
meri kalam se ....
जिंदगी में बहुत कुछ करना चाहता हु , लेकिन वो कहेते है कि कभी किसी को मुक्कमल जहा नहीं मिलता . यही मेरे साथ भी न हो बस इसी का डर हमेशा रहेता है .
करना चाहता हु दिल कि लेकिन जिम्मेदारियों के भोझ ने इस कदर परेशान करके रखा है कि जीते जी सुकून नहीं है . समझ नहीं आता क्या करू . बस भगवन से यही प्रार्थना है कि मुझे सिर्फ एक मोका दे दो . फिर देखो जो सोचा है उसे करके दिखाऊंगा .
oh life ! pls give me one chance i want to prove my self .
शनिवार, 6 मार्च 2010
माँ मुझे तुम हमेशा याद आती हो ..............
माँ मुझे तुम हमेशा याद आती हो
AAJ KE TIME KA EK SACH....
अगर यहि जिना है दॊस्तॊ, तॊ फिर मरना क्या है..
पहले बरिश मै ट्रैन् लॆट हॊनॆ कि फिक्र है..
भुल गयॆ भिगतॆ हुऎ टहलना क्या हॊता है..
सिरिअल्स कॆ किरदारॊ का सारा हाल है मालुम..
पर मा का हाल पुछनॆ कि पुरसत कहा है..?
अब रॆत पॆ नन्गै पैर टहलतॆ क्यॊ नही..?
108 है चैनल पर दिल बहलतॆ क्यॊ नही..?
इन्टरनॆट पॆ सारी दुनिया सॆ तॊ टच मैन् है
लॆकीन पडॊस मै कौन रहता है जानतॆ तक नही.
मॊबाईल,लैन्डलाईन सब की भरमार् है..
लॆकीन जीगरी दॊस्त तक पहुचॆ ऐसॆ तार कहा है..?
कब डूबतॆ हुऎ सुरज कॊ दॆखा था याद है.??
कब जाना था वॊ शाम का गुजरना क्या है..??
तॊ दॊस्तॊ शहर कि ईस दौड मै दौड कॆ करना क्या है..
अगर यही जीना है तॊ मरना क्या है
Life me Hai kuch Kammi Si
घिंरा हूँ चारो तरफ़ मुस्कुराते चेहरो से
फिर भी जिन्दगी में उजाले भरने वाली उस मुस्कुराहट की कमी सी है
दिख रही है पहचान अपनी ओर उठते हर नज़र में....
फिर भी दिल को छु लेने वालि उस निगाह की कमी सी है
गुँज़ता है हर दिन नये किस्सो, कोलाहल और ठहाको से
फिर भी कानो में गुनगुनाति उस खामोशी कि कमी सी है
बढ़ रहे है कदम मेरे पाने को नयी मन्ज़िलें
फिर भी इन हाथो से छुट चुके उन नरम हाथो की कमी सी है
एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..
खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं..
दोस्तॊं से दोस्ती तो हर कोई निभाता है..
दुश्मनों को भी अपना दोस्त बनाना चाहता हूं, मैं..
जो हम उडे ऊचाई पे अकेले, तो क्या नया किया..
साथ मे हर किसी के पंख फ़ैलाना चाह्ता हूं, मैं..
वोह सोचते हैं कि मैं अकेला हूं उन्के बिना..
तन्हाई साथ है मेरे, इतना बताना चाह्ता हूं..
ए खुदा, तमन्ना बस इतनी सी है.. कबूल करना..
मुस्कुराते हुए ही तेरे पास आना चाह्ता हूं, मैं..
बस खुशी हो हर पल, और मेहकें येह गुल्शन सारा "अभी"..
हर किसी के गम को, अपना बनाना चाह्ता हूं, मैं..
एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..
खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं***
मुज़् सॆ नाराज् हॊ तॊ
अगर यहि जिना है दॊस्तॊ, तॊ फिर मरना क्या है..
अगर यहि जिना है दॊस्तॊ, तॊ फिर मरना क्या है..
पहले बरिश मै ट्रैन् लॆट हॊनॆ कि फिक्र है..
भुल गयॆ भिगतॆ हुऎ टहलना क्या हॊता है..
सिरिअल्स कॆ किरदारॊ का सारा हाल है मालुम..
पर मा का हाल पुछनॆ कि पुरसत कहा है..?
अब रॆत पॆ नन्गै पैर टहलतॆ क्यॊ नही..?
108 है चैनल पर दिल बहलतॆ क्यॊ नही..?
इन्टरनॆट पॆ सारी दुनिया सॆ तॊ टच मैन् है
लॆकीन पडॊस मै कौन रहता है जानतॆ तक नही.
मॊबाईल,लैन्डलाईन सब की भरमार् है..
लॆकीन जीगरी दॊस्त तक पहुचॆ ऐसॆ तार कहा है..?
कब डूबतॆ हुऎ सुरज कॊ दॆखा था याद है.??
कब जाना था वॊ शाम का गुजरना क्या है..??
तॊ दॊस्तॊ शहर कि ईस दौड मै दौड कॆ करना क्या है..
अगर यही जीना है तॊ मरना क्या है?
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता
आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे
यहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होता
क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो
इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता
कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता
जिंदगी जी लेंगें !
कहीं चिंगारी तेरे दिल में भी है,नहीं तो यूँ धुआँ उठता ही नहीं ।है ये उम्मीद कि जी उठेंगें हम,वर्ना मैं तुम पे यूँ मरता ही नहीं ।दिल की ये बात तुमसे कहनी है,वर्ना बात तुमसे कुछ करता ही नहीं ।अपनी तो छोटी सी कहानी है,तुम न सुनते अपनी कहता ही नहीं ।हँस के थोड़ी सी जिंदगी जी लेंगें,तुम न मिलते तो मन यूँ हँसता ही नहीं ।
समझ मुझको उम्र-भर आया नहीं !
ज़िन्दगी जी गए....
सबसे सस्ता है...
इक मुलाकात ज़रूरी है....
दोस्ती
अपने ही साए से हर गम लरज़ जाता हूँ, रस्ते में कोई दिवार खड़ी हो जैसे,
मंजिल दूर भी है, मंजिल नज़दीक भी है, अपने ही पाऊँ में ज़ंजीर पड़ी हो जैसे,
कितने नादान हैं तेरे भुलाने वाले के तुझे, याद करने के लिए उम्र पड़ी हो जैसे,
आज दिल खोल के रोया है दोस्त तो यूँ खुश है, चंद लम्हों की ये रात भी बड़ी हो जैसे...
आँखें...!!!
प्यार..इश्क और मोहब्बत....
ये किस का तसव्वुर है ये किस का फ़साना है जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना है
हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़साना है रोने को नहीं कोई हँसने को ज़माना है
वो और वफ़ा-दुश्मन मानेंगे न माना है सब दिल की शरारत है आँखों का बहाना है
क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है
वो हुस्न-ओ-जमाल उन का ये इश्क़-ओ-शबाब अपनाजीने की तमन्ना है मरने का ज़माना है
या वो थे ख़फ़ा हम से या हम थे ख़फ़ा उन से कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है
अश्कों के तबस्सुम में आहों के तरन्नुम में मासूम मोहब्बत का मासूम फ़साना है
आँखों में नमी सी है चुप-चुप से वो बैठे हैं नाज़ुक सी निगाहों में नाज़ुक सा फ़साना है
है इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा हाँ इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा आज एक सितमगर को हँस हँस के रुलाना है
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना तो समझ लीजे एक आग का दरिया है और डूब के जाना है
आँसू तो बहोत से हैं आँखों में 'जिगर' लेकिन बिंध जाये सो मोती है रह जाये सो दाना है
काश....!!!
हमसे भागा करो न दूर....
ख़ुद-ब-ख़ुद नींद-सी आँखों में घुली जाती है महकी महकी है शब-ए-ग़म तेरे बालों की तरह
और क्या इस से ज़्यादा कोई नर्मी बरतूँ दिल के ज़ख़्मों को छुआ है तेरे गालों की तरह
और तो मुझ को मिला क्या मेरी मेहनत का सिला चंद सिक्के हैं मेरे हाथ में छालों की तरह
ज़िन्दगी जिस को तेरा प्यार मिला वो जाने हम तो नाकाम रहे चाहने वालों की तरह...
रखा है...
लब पे आहें भी नहीं आँख में आँसू भी नहीं दिल ने हर राज़ मुहब्बत का छुपा रखा है
तूने जो दिल के अंधेरे में जलाया था कभी वो दिया आज भी सीने में जला रखा है
देख जा आ के महकते हुये ज़ख़्मों की बहार मैनें अब तक तेरे गुलशन को सजा रखा है
आज का ज़माना
सम्भल भी जा कि अभी वक़्त है सम्भलने का
बहार आये चली जाये फिर चली आये
मगर ये दर्द का मौसम नहीं बदलने का
ये ठीक है कि सितारों पे घूम आये हैं मगर
किसे है सलीका ज़मीं पे चलने का
फिरे हैं रातों को आवारा हमने देखा है
गली गली में समाँ चाँद के निकलने का
हर लफ़्ज तेरे जिस्म की खुशबू में ढला है
ये तर्ज़, ये अंदाज़-ए-बयां हमसे चला है
अरमान हमें एक रहा हो तो कहें भी
क्या जाने, ये दिल कितनी चिताओं में जला है
अब जैसा भी चाहें जिसे हालात बना दें
है यूँ कि कोई शख़्स बुरा है, न भला है
सुनते हैं दर्द-ए-मोहब्बत दिल को तोड़ देती है
पर क्या करें अब ये दर्द इस दिल में पला है...
ऐ दर्द-ए-इश्क़ तुझसे मुकरने लगा हूँ मैं
मुझको सँभाल हद से गुज़रने लगा हूँ मैं
पहले हक़ीक़तों ही से मतलब था, और अब
एक-आध बात फ़र्ज़ भी करने लगा हूँ मैं
हर आन टूटते ये मोहब्बत के सिलसिले
लगता है जैसे आज बिखरने लगा हूँ मैं
लोग कहते थे मेरा सुधरना मुहाल था
तेरा कमाल है कि सुधरने लगा हूँ मैं
इतनों का प्यार मुझसे सँभाला न जायेगा !
लोगो ! तुम्हारे प्यार से डरने लगा हूँ मैं
कभी ना झुका जो सर किसी के भी सामने
गलियों से सर झुका के गुज़रने लगा हूँ मैं
वो आँख अभी दिल की कहाँ बात करती है
कमबख्त मिलती है तो सवालात करती है
वो लोग जो ताउम्र सच्चा प्यार निभाते थे
इस दौर में तू उनकी कहाँ बात करती है
क्या सोचती है, मैं रात में क्यों जाग रहा हूँ
तू कौन है जो मुझसे सवालात करती है
कुछ जिसकी शिकायत है न कुछ जिसकी खुशी है
ये कौन-सा बर्ताव मेरे साथ करती है
दिल थाम लिया करते हैं सोच उन लम्हों को
जब रात गये तेरी साँसें बात करती है
हर लफ़्ज़ को छूते हुए जो काँप न जाये
बर्बाद वो अल्फ़ाज़ की औक़ात करती है
हर चन्द नया लफ्ज़ दिया, हमने ग़ज़ल को
पर आज भी दिल में वही इक वास करती है
ऐसा ही न हो....!!!
कुछ न कुछ हमने तेरा क़र्ज़ उतारा ही न हो
दिल को छू जाती है यूँ रात की आवाज़ कभी
चौंक उठता हूँ कहीं तूने पुकारा ही न हो
कभी पलकों पे चमकती है जो अश्कों की लकीर
सोचता हूँ तेरे आँचल का किनारा ही न हो
ज़िन्दगी एक ख़लिश दे के न रह जा मुझको
दर्द वो दे जो किसी तरह गवारा ही न हो
शर्म आती है कि उस शहर में हम हैं कि जहाँ
न मिले भीख तो लाखों का गुज़ारा ही न हो
हमने काटी हैं तेरी याद में रातें अक्सर
दिल से गुज़री हैं सितारों की बारातें अक्सर
और तो कौन है जो मुझको तसल्ली देता
हाथ रख देती हैं दिल पर तेरी बातें अक्सर
हाल कहना है किसी से तो मुख़ातिब हो कोई
कितनी दिलचस्प, हुआ करती हैं बातें अक्सर
हम से इक बार भी जीता है न जीतेगा कोई
वो तो हम जान के खा लेते हैं मातें अक्सर
उनसे पूछो कभी चेहरे भी पढ़े हैं तुमने
जो किताबों की किया करते हैं बातें अक्सर
हमने उन तेज़ हवाओं में जलाये हैं चिराग़
जिन हवाओं ने उलट दी हैं बिसातें अक्सर
अपने चाँद का मैं इन्तज़ार करता हूँ
मुझे सब पता है,,,,!!!!
कुछ दिन तो मेरे साथ चला दोस्त बनके वो ,फिर भी हर मोड़ पर कुछ फासला रहा !
जिसका हुआ तुझे कभी एहसास तक नही ,वो दर्द हमने ज़िंदगी का बेइन्तहा सहा !
इए दोस्त तेरे दिल की कसक जानता हूँ मैं ,गर मैं नही तो चैन से तू भी नही रहा !
एक मोड़ पे खड़ा राही...
एक दोस्त बहुत याद आता है...
ये बड़ी अजीब सी बात है....
ये बड़ी अजीब सी बात है....
तमन्ना
सिवा तुम्हारे कुछ सोचूँ मैं नहीं सोचता हूँ बता दूं मगर रूबरू जब तुम हो तो कुछ बोलूं मैं नहीं... काश ऐसा हो के मैं तुम,तुम मैं बन जाओ और मुझे महोब्बत ना करो......॥ अक्सर देखा है महोब्बत को नाकाम होते हुए साथ जीने के वादे किए फिर तनहा रोते हुए....... जो हमेशा साथ निभाए॥वो तो बस दोस्ती है जो कभी ना रूलाए॥वो तो बस दोस्ती है........ यूँ ही देखा है बचपन की दोस्ती को बूढा होते हूए ना किए कभी वादे॥पर हर वादे को पूरा होते हूए...॥ ये तमन्ना है के मेरी ज़िन्दगी में आओ और मुझे महोब्बत न करो... ये इल्तज़ा है के मेरे दोस्त बन जाओ और मुझे महोब्बत न करो......॥ .................. ............... ......... यूँ ही ता उमर मेरा साथ निभाओ और मुझे महोब्बत न करो............
बस उसके प्यार के लिए हरदम तरसता रहा
जानता था वो अब शायद ही कभी मुझे हासिल होगी,
फिर भी झूठे दिलासे से दिल बहलाता रहा,
सोचा था कभी तो वक्त मेरे साथ होगा पर
वो भी रेत कि तरह मेरे हाथ से फिसलता रहा शायद,
खुदा को ये भी नामंजूर था आखों में कैद करूँ उसके अक्स को
इसलिए तो हर लम्हा पानी कि तरह मेरी आखों से बहता रहा !
काश तुम आते एक बार....
कहते तुम कुछ अपनी, सुनते कुछ मेरी
रहते हम दोनो, बस अपने मे गुम
काश ! आते तुम एक बार…॥बताते…।
कैसे कटे ये दिन, कैसी गुजरी ये राते
क्यों थी आखो मे नमी, क्यों थी ये सासे थमी
काश ! आते तुम एक बार …………
काश ! तुम आते आज……
मिलती उम्मीद ज़िन्दगी को
जैसे मिलता है पानी प्यासे को
काश ! आते तुम एक बार ………
मालूम है ये दिल को
रहेगा ये सपना अधूरा…
आखो मे एक बूद बन के,
दिल मे दर्द बनके…
फ़िर भी करता है, उम्मीद अधुरी सी…
काश ! आते तुम एक बार
कभी ना जाने के लिए खतम होता
ये इन्तजार…मॊत के आने से पहले॥k
क्या ऐसा होता है प्यार??
थामे जो प्यार से हाथ मेरा तो अपने हाथ से प्यार हो जाये …………।
जिस रात आये तू ख्वाबों मे तोउस सुहानी रात से प्यार हो जाए
जिस बात मे आये जिक्र तेरा तो उसी बात से प्यार हो जाये …………………।
जब पुकारे प्यार से नाम तेरा तो अपने ही नाम से प्यार हो जाये……………॥
होता है इतना खूबसूरत ये प्यार अगर तो काश……
तुझे भी मेरे प्यार से प्यार हो जाये