कुछ अपने बारे में ....
- ♥°ღ•मयंक जी●•٠·♥
- नवग्रह की नगरी खरगोन, मध्य प्रदेश, India
- क्या बताऊ खुद को औरो की तरह एक आम इंसान कहेने को जी नहीं चाहता . हु सबसे अलग . सोच है अलग . प्यार करता हु हर इंसान से . झांक कर देखिये मेरे दिल में बहुत जगह है आपके लिए . बहुत सुकून है . AC तो नहीं पर फिर भी ठंडक है . आराम है , प्यार है , सुकून है , अपना पन है , क़द्र है और आपसे बात करने की इच्छा है . बस चले आये बिना कुछ सोचे बिना कुछ विचारे बहार की इस भाग डोर बरी जिंदगी से अलग हटकर एक सुहाने सफ़र पर अपक स्वागत है ..हमारे दिल में .....
मेरे ब्लॉग के बारे में......
ये ब्लॉग मेरे दिल का दरीचा है , दिल की आवाज है . दरीचा याने हमारे घर की खिड़की जहाँ से झांक कर हम हसीं लम्हों को याद करते है . बहारो को निहारते है . और उन हसीं पालो को निगाहों में कैद करते है . उन भूली बिसरी यादो को याद करते है जहाँ रहकर हमने कई हसीं यादगार पल बिताये , वो लम्हे जो हमारी जिंदगी में हमशा एक याद बनकर हमेशा हमें ख़ुशी देते है . वोही है दरीचा ....जहा वख्त थम सा जाता है और हम खो जाते है उन प्यारी प्यारी मधुर यादो में जो हमेशा याद आने पर मन बुदबुदा देती है . हलचल ला देती है .
उन्ही कुछ एहसास को समेटे हुए आपने दिल के दरीचे से आपकी सासों में समां जाएँ बस यही गुजारिश है .
चलो क्यों न इस दुनिया की भाग डोर से अलग हटकर चल पड़े एक ऐसे सफ़र में जहा वक्त ठहर जाता है , हवा मंद मंद हो जाती है , मन खुशियों के हिलोरे लेता है और दिल को सुकून मिलता है , क्यों न खो जाये फिर उस एहेसास में जो तन को इस्फुरित करदे . दिन भर की थकान से दूर एक अनोखे सफ़र स्वागत है आपका . छोड़ दो सारे ग़म , भूल जाओ सारे दुःख क्युकी ये दिन ये समय तुम्हारा है .
दिल में उतर जाने दे इस अहेसास को, दिल की यादो को मन से बहार निकाल कर बांटे मेरे साथ . क्युकी यहाँ कोई आपके एहेसास की क़द्र करता है . और आपके इंतज़ार में बैठा हुआ है ....आपसे मिलने को बेक़रार है . बेक़रार है आपसे बाते करने को , आपके सुख दुःख का हम राहि बन्ने को . आपका दोस्त ............राहुल <मयंक >
तो चले एक नए सफ़र पर आपकी यादों की झील में मेरी अभिवयक्ति की पतवार पर सवार होकर ....... धन्यवाद
शुक्रवार, 14 जनवरी 2011
मेरे कोरे दिल की कल्पना हो तुम--
कविता में पिरे
शब्दों की व्यजंना हो तुम,
मर्म-स्पर्शी नव साहित्य की
सृजना हो तुम,
नव प्रभा की पथ प्रदर्शक
लालिमा हो तुम,
मेरे कोरे दिल की कल्पना हो तुम,
स्वप्न दर्शी सुप्त आखों में
बसी तलाश हो तुम,
सावन की कजरी में घुली
मिठास हो तुम,
चन्द्र नगरी के चन्द्र रथ पर
सवार एक सुन्दरी हो तुम,
रस भरे अधरों के अलिंगन की
कल्पित एक स्वप्न परी हो तुम,
मेरे कोरे दिल की कल्पना हो तुम ...............
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बहुत बहुत शुक्रिया